
राजनीतिक गुंडागर्दी की मिसाल बने राज ठाकरे इसी पर अमल करके महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में चचा ठाकरे से आगे निकल गए। अब फूहड़ बयानबाजी में राज से होड़ ले रहे हैं संघ प्रमुख मोहन भागवत। भागवत ने कहा है कि जो आदमी हिंदू नहीं, वो भारतीय नहीं। क्योंकि जो भारतीय हैं वो हिंदू हैं। भागवत ने ये बयान दिया भोपाल में, जहां पिछले दिनों संघ ने हिंदू समागम कार्यक्रम का आयोजन किया था। अपने इस बयान से भागवत ने खुद को हिंदुत्व का सबसे बड़ा अलमबरदार साबित करने की कोशिश की है। हालांकि ज़हर बुझे तीर के बाद भागवत ने बयानों की पैंतरेबाजी दिखाई और कह दिया कि यहां 'हिंदू' से उनका मतलब जीवन की कला से है। लेकिन सवाल ये उठता है कि ये पैंतरेबाजी किसलिए, क्या संघ का एजेंडा किसी से छिपा है? अगर भावनाएं न भड़कें तो उसकी राजनीतिक दुकान बंद हो जाए। भागवत चाहते हैं कि उनके इस बयान पर बवाल हो। मुसलमान सिख और इसाई भड़कें, क्योंकि बवाल जितना बड़ा होगा, उनका कद उतना ही ब़ड़ा हो जाएगा।
एक गुमनाम से संगठन श्रीराम सेना के मुखिया प्रमोद मुतालिक का नाम अभी

इस तरह के नेताओं की फेहरिस्त बड़ी लंबी है। दरअसल ये नेताओं की वो नस्ल है, जो ये बात भली भांति जानती है कि वोट विकास से नहीं, बयान से मिलते हैं। वैसे इन मौकापरस्तों को नेता हमने ही बनाया है। अगर ये नफरत के बीज बोते हैं, तो हमारी कमअक्ली, कि हम उस बीज को सींचते हैं। सवाल ये है कि क्या इस सिलसिले पर रोक लगेगी। क्या कोई ऐसा मैकेनिज्म डिवेलप होगा, जो मजहब और इलाके की सियासत पर लगाम लगाएगा? हालात बुरे ज़रूर हैं, लेकिन नाउम्मीदी इतनी नहीं है कि सुनहले सूरज की उम्मीद छोड़ दी जाए।
आपने अपने लेख में आजकल के नेताओं की पोल खोलकर रख दी है। बेबाक लेखन तारीफ के काबिल है।
जवाब देंहटाएंप्रयास सराहनीय है. आपके राजनीतिक कटाक्ष वास्तव में तीखे हैं. रणविजय आपने ब्लॉग शुरू करने से पहले उस पर काफी मनन किया होगा . क्या विषय होंगे और वह समीक्षा, व्याख्या, आलोचना, समालोचना, खोजपरक क्या होंगी. मैं अपेक्षा करता हू की आपका ब्लॉग कुछ हटकर हो . राजनीति और वह भी नेताओं की टांग खिचाई यह एक वर्ग को पसंद आ सकता है लेकिन मुझे नहीं लगता की इसे लम्बी race का घोडा माना जायेगा . पाकिस्तान के हाल, माया की माला, ठाकरे, भागवत के लिए अखबार हैं. आप कुछ अलग हटकर करो. मेरी शुभकामनाये .
जवाब देंहटाएंधर्मेन्द्र पन्त